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क्या मृत्यु के बाद नॉमिनी ही बनता है संपत्ति का मालिक? जानें कानून क्या कहता है इस पर

क्या आप भी मानते हैं, कि नॉमिनी बनते ही किसी की पूरी संपत्ति उसी की हो जाती है? अगर हाँ, तो आपको यह जानना बेहद जरूरी है, कि कानून क्या कहता है, इस बारे में। हो सकता है हकीकत आपकी सोच से बिल्कुल अलग हो! पढ़ें पूरी जानकारी और जानें कि असली मालिक कौन होता है।

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क्या मृत्यु के बाद नॉमिनी ही बनता है संपत्ति का मालिक? जानें कानून क्या कहता है इस पर
क्या मृत्यु के बाद नॉमिनी ही बनता है संपत्ति का मालिक? जानें कानून क्या कहता है इस पर

जब कोई व्यक्ति बैंक खाता खोलता है, बीमा पॉलिसी लेता है, या कोई संपत्ति खरीदता है, तो उससे नॉमिनी (Nominee) का नाम जरूर पूछा जाता है। नॉमिनी वह होता है, जिसे आपकी मृत्यु के बाद पैसा या संपत्ति दी जाती है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है, कि नॉमिनी ही आपकी सारी संपत्ति का मालिक बन जाता है? नहीं, यह एक बड़ी गलतफहमी है। चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

नॉमिनी मालिक नहीं, बस देखभाल करने वाला होता है

नॉमिनी आपकी संपत्ति का असली मालिक नहीं होता। वह सिर्फ आपकी मौत के बाद आपकी संपत्ति की देखभाल करता है, जब तक कि असली कानूनी वारिस (Legal Heir) को वह मिल नहीं जाती। अगर आपने वसीयत (Will) बनाई है, और उसमें नॉमिनी को उत्तराधिकारी बनाया है, तब ही उसे मालिकाना हक मिलेगा। वरना उसका काम सिर्फ संपत्ति को संभालना और सही व्यक्ति को देना होता है।

मान लीजिए, किसी पति ने अपनी पत्नी को बैंक खाते का नॉमिनी बनाया, लेकिन वसीयत में अपने बेटे का नाम लिखा, तो पत्नी सिर्फ पैसा निकाल सकती है, लेकिन मालिक बेटा ही होगा।

बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट पर क्या होता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, नॉमिनी सिर्फ बैंक खाते या जमा पैसे का ट्रस्टी होता है। वह पैसा निकाल सकता है, लेकिन असली हकदार वही होता है, जिसे वसीयत में नामित किया गया है। अगर वसीयत नहीं है, तो फिर उत्तराधिकार कानून के अनुसार पैसा दिया जाएगा।

बीमा पॉलिसी में नॉमिनी को क्या मिलता है?

बीमा अधिनियम 1938 के मुताबिक, बीमा कंपनी नॉमिनी को क्लेम अमाउंट देती है। लेकिन अगर कानूनी वारिस कोर्ट में जाकर साबित कर दे कि वो असली हकदार है, तो पैसा उसे मिल सकता है। यानी बीमा की रकम भी नॉमिनी के पास हमेशा के लिए नहीं रहती।

शेयर और निवेश पर नॉमिनी का हक

अगर किसी व्यक्ति के पास शेयर हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो वो शेयर नॉमिनी को ट्रांसफर हो जाते हैं। लेकिन अगर कानूनी वारिस अदालत में जाकर दावा करता है, और साबित करता है, कि वो असली मालिक है, तो नॉमिनी को वह शेयर उसे देने पड़ सकते हैं।

मकान या फ्लैट में क्या होता है?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि हाउसिंग सोसाइटी में नॉमिनी सिर्फ देखभाल करने वाला होता है, मालिक नहीं। असली मालिक वही होता है, जिसे वसीयत में नाम दिया गया हो या जो उत्तराधिकार कानून के अनुसार हकदार हो।

कानूनी वारिस कौन होता है?

हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के अनुसार, कानूनी वारिस दो तरह के होते हैं:

पहली श्रेणी – पत्नी, बेटा, बेटी और माँ। इन्हें पहले हक मिलता है।
दूसरी श्रेणी – पिता, पोते-पोती, भाई-बहन। इन्हें तब हक मिलता है जब पहली श्रेणी का कोई न हो।

अगर किसी की वसीयत नहीं होती, तो संपत्ति इन्हीं कानूनों के अनुसार बांटी जाती है।

बिना वसीयत के नॉमिनी मालिक नहीं बन सकता

अगर आपने वसीयत नहीं बनाई है, तो नॉमिनी को केवल अस्थायी तौर पर संपत्ति का हक मिलता है। जब तक असली वारिस सामने नहीं आता, नॉमिनी को सिर्फ संपत्ति की देखभाल करनी होती है। बिना वसीयत के नॉमिनी को मालिक नहीं माना जाएगा।

अपनी संपत्ति सही व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए क्या करें?

अगर आप चाहते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई आपकी पसंद के व्यक्ति को मिले, तो आपको ये काम करने चाहिए:

  • एक वसीयत जरूर बनवाएं और उसमें साफ-साफ लिखें कि कौन सी संपत्ति किसको मिलेगी।
  • अगर आप चाहते हैं, कि नॉमिनी को ही सब कुछ मिले, तो वसीयत में उसका नाम जरूर लिखें।
  • नॉमिनी ऐसा व्यक्ति बनाएं जिस पर आपको पूरा भरोसा हो।
  • अगर कभी आपका मन बदल जाए, तो आप वसीयत और नॉमिनी दोनों को बदल सकते हैं।
Nominee
Author
Rohit Kumar

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