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क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में मिलता है हिस्सा? जानें 2025 के नियम और दूर करें भ्रम

क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिलता है या नहीं? यह सवाल कई परिवारों में उठता है और इसके पीछे बहुत से कानूनी पहलू होते हैं। 2025 में इस मामले में क्या नए नियम लागू हुए हैं? जानिए इस लेख में, ताकि आप भी ससुर की संपत्ति से जुड़ी कानूनी स्थिति और अधिकारों को सही तरीके से समझ सकें।

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क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में मिलता है हिस्सा? जानें 2025 के नियम और दूर करें भ्रम
क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में मिलता है हिस्सा? जानें 2025 के नियम और दूर करें भ्रम

ससुर की सम्पति में दामाद का हिस्सा 2025 को लेकर देशभर में एक बार फिर चर्चा फ़ैल गई है, यह खबर खासकर केरल हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद यह फैसला उन सभी भ्रमों को दूर करता है जो आमतौर पर शादी के बाद दामाद के ससुराल की संपत्ति पर अधिकार को लेकर समाज में फैले हैं।

केरल हाईकोर्ट ने एक अहम केस में साफ बताया है कि दामाद को उसके ससुर की संपत्ति में कोई क़ानूनी या जन्मसिद्ध अधिकार नहीं मिलता फिर चाहे वह चल संपत्ति हो या अचल संपत्ति इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल पारिवारिक संबंध या सामाजिक सम्मान के आधार पर दामाद किसी संपत्ति पर हक़ नहीं सकता।

केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला और मामले की पूरी कहानी

इस केस में एक दामाद, डेविस नामक व्यक्ति ने अपने ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की थी। उन्होंने दलील दी कि उन्होंने हेंड्री की इकलौती बेटी से विवाह किया है और शादी के बाद उन्हें परिवार का सदस्य और गोद लिया गया पुत्र माना गया। इस आधार पर उन्होंने संपत्ति पर दावा किया।

हालांकि, निचली अदालत ने पहले ही इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद जब यह मामला केरल हाईकोर्ट में पहुंचा, तो अदालत ने इस तर्क को “शर्मनाक” बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया।

कानून की नजर में दामाद का हक

भारतीय संपत्ति कानून, विशेष रूप से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, दामाद को ससुर की संपत्ति में किसी प्रकार का स्वाभाविक अधिकार नहीं देता है। कानून केवल उन्हीं लोगों को संपत्ति का अधिकार देता है जो उत्तराधिकारी के रूप में कानूनी रूप से मान्य होते हैं या जिन्हें वसीयत (Will), उपहार पत्र (Gift Deed) या अन्य वैध दस्तावेजों के माध्यम से संपत्ति दी गई हो।

अगर दामाद को कोई संपत्ति मिलती है, तो वह केवल ससुर की स्वेच्छा से दी गई होती है। इसके लिए या तो लिखित वसीयत होनी चाहिए, या फिर रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड होना आवश्यक है। अन्यथा, कोई भी दावा न्यायालय में टिक नहीं सकता।

सामाजिक मान्यताएं बनाम कानूनी स्थिति

भारतीय समाज में अक्सर यह धारणा होती है कि शादी के बाद दामाद को परिवार का हिस्सा मान लिया जाता है, इसलिए उसे संपत्ति में भी हिस्सा मिलना चाहिए। परंतु केरल हाईकोर्ट के फैसले ने इस सामाजिक मिथक को तोड़ते हुए स्पष्ट कर दिया कि शादी का संबंध संपत्ति के अधिकार का आधार नहीं बन सकता। दामाद यदि किसी संपत्ति में योगदान करता है या उसमें रह रहा होता है, तब भी यह उसे कानूनी उत्तराधिकारी नहीं बना देता।

जब संपत्ति का हस्तांतरण वैध होता है

अगर ससुर अपनी मर्जी से दामाद को संपत्ति देना चाहता है, तो उसे उचित कानूनी दस्तावेज तैयार कराना अनिवार्य है। ये दस्तावेज हो सकते हैं, रजिस्टर्ड वसीयत, गिफ्ट डीड या फिर सेल डीड।

अगर संपत्ति का ट्रांसफर धोखे या जबरदस्ती से हुआ हो, तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है और वह अवैध घोषित हो सकता है। इसके विपरीत यदि ट्रांसफर पूरी तरह स्वेच्छा से और दस्तावेजों के अनुसार हुआ है, तो उस स्थिति में दामाद कानूनी रूप से संपत्ति का मालिक बन सकता है।

बेटी का हक बनाम दामाद की स्थिति

जहां बेटी को उसके पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार प्राप्त है, वहीं यह अधिकार सीधे दामाद को नहीं मिलता। बेटी को प्राप्त संपत्ति का लाभ दामाद को केवल तब मिलता है जब वह उसे कानूनी रूप से हस्तांतरित करे। दामाद स्वयं कोई दावा नहीं कर सकता जब तक कि उसके नाम संपत्ति ट्रांसफर न की गई हो।

सरकार और न्यायालय की मौजूदा स्थिति

सरकार की किसी भी नीति या स्कीम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो दामाद को ससुर की संपत्ति में हिस्सा दिलवाए। न ही कोई कानूनी संशोधन फिलहाल इस दिशा में विचाराधीन है। केरल हाईकोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि न्यायपालिका भी इस विचार का समर्थन नहीं करती कि दामाद को शादी के बाद स्वचालित रूप से संपत्ति का अधिकार मिल जाना चाहिए।

Author
Rohit Kumar

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